About Book / बुक के बारे में
Pustak Ka Naam / Name of Book -----नारद पुराण | Narad Puran |
Pustak Ke Lekhak / Author of Book ----- #### |
Pustak Ki Bhasha / Language of Book ---- HINDI | हिंदी |
Pustak Ka Akar / Size of Ebook -----46.9 MB |
Pustak me Kul Prashth / Total pages in ebook - 751 |
prakasan ki thithi/ Publication Date ----- #### |
Download Sthiti / Ebook Downloading Status -- Best |
Summary of Book / बुक का सारांश
एक समय धर्म, अर्थ, काम और मोक्षका उपाय जाननेकी इच्छासे उन श्रेष्ठ महात्माओंने एक बड़ी भारी सभा की। उसमें छब्बीस हजार ऊर्ध्वरेता (नैष्ठिक ब्रह्मचर्यका पालन करनेवाले) मुनि सम्मिलित हुए थे। उनके शिष्य-प्रशिष्योंकी संख्या तो बतायी ही नहीं जा सकती। पवित्र अन्तःकरणवाले वे महातेजस्वी महर्षि लोकोंपर अनुग्रह करनेके लिये ही एकत्र हुए थे। उनमें राग और मात्सर्यका सर्वथा अभाव था। वे शौनकजीसे यह पूछना चाहते थे कि इस पृथ्वीपर कौन-कौन-से पुण्यक्षेत्र एवं पवित्र तीर्थ हैं। त्रिविध | तापसे पीड़ित चित्तवाले मनुष्योंको मुक्ति कैसे
प्राप्त हो सकती है। लोगोंको भगवान् विष्णुकी | अविचल भक्ति कैसे प्राप्त होगी तथा सात्त्विक, | राजस और तामस-भेदसे तीन प्रकारके कर्मोका |फल किसके द्वारा प्राप्त होता है। उन मुनियोंको |अपनेसे इस प्रकार प्रश्न करनेके लिये उद्यत | देखकर उत्तम बुद्धिवाले शौनकजी विनयसे झुक गये और हाथ जोड़कर बोले।
Once upon a time, those great mahatmas held a huge gathering with the desire to know the religion, meaning, work, and the solution of salvation. Twenty-six thousand Upadharta (nurturing celibate) sages were involved in it. The number of his disciples and teachers cannot be said. Those holy consciences had gathered only to grace the Mahatesvi Maharishi Lokas. There was a complete lack of raga and Matsuyama in them. He wanted to ask Shaunakji, what are the holy places and holy shrines on this earth. Trinity How to get rid of people suffering from heatstroke
May be obtained. Lord Vishnu to the people. How to attain uninterrupted devotion and sattvik. Three types of karaokes from Rajas and Tamas Bhedar | fruit is obtained by Those monks | Willing to ask themselves questions like this. On seeing this, a wise man, Shaunakji bowed humbly and said with folded hands.
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About Writer / लेखक के बारे में
कृष्ण द्वैपायन, जिसे व्यास (/ ˈvjɑːsə /; संस्कृत: व्यासः, रोमनकृत: व्यास, लिट. ’कंपाइलर’) और वेद व्यास (वेदव्यासः, वेद-व्यास:, “वेदों को वर्गीकृत करने वाले”) के रूप में भी जाना जाता है, एक ऋषि है ( साधू)। उन्हें महाभारत के पारंपरिक लेखक के रूप में जाना जाता है, जो भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है। उन्हें वेदों के पारंपरिक संकलनकर्ता के साथ-साथ पुराणों सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लेखक के रूप में भी श्रेय दिया जाता है।
“Virtues of a rich man donating whole estate and a poor person donating a yard of land are equal.”
― Ved Vyasa, NARADA PURANA“सारी संपत्ति दान करने वाले धनी व्यक्ति के गुण और एक गज भूमि दान करने वाले गरीब व्यक्ति के गुण समान हैं।”
-वेद व्यास, नारद पुराण