About Book / बुक के बारे में
Pustak Ka Naam / Name of Book -----महात्मा गौतम बुद्ध का जीवन चरित्र | Mahatma Gautam Buddha Ka Jeevan Charitra |
Pustak Ke Lekhak / Author of Book ----- ##### |
Pustak Ki Bhasha / Language of Book ---- हिंदी/HIndi |
Pustak Ka Akar / Size of Ebook ----- 18 MB |
Pustak me Kul Prashth / Total pages in ebook - 732 |
prakasan ki thithi/ Publication Date ----- #### |
Download Sthiti / Ebook Downloading Status -- Best |
Summary of Book / बुक का सारांश
थे और उनकी सुगन्ध से वह सारा अरण्य महक रहा था। वृक्षो पर कोमल हरी पत्तियां दीख रही थीं। फल देने वाले वृक्षों पर पक्षियों के झुण्ड के झुण्ड आनन्द में मस्त होकर कलक” शब्द करते हुए इतस्ततः परिभ्रमण कर रहे थे। भ्रमरोंके कुण्ड गुजारव करते हुए एक पुष्पसे दूसरे पुष्प पर बैठ कर परागका प्राशन करने में मग्न हो गये थे। इसी समय सहसा रानी मायावती के उदरमें पीड़ा उत्पन्न हुई जिससे उसे तथा उसके साथियों को वहीं ठहर जाना पड़ा। रानीको प्रसव-वेदना हो रही है यह देख कर सारी मण्डली चिन्ताक्रान्त होगई और दासदासियों में बड़ी खलबली मच गई। एक प्रचण्ड वृक्ष के तले दासियों ने पर्ण-शय्या तैय्यार की और आसपास कनात बांधकर रानीको प्रस्त होने के लिये उस पर लिटा दिया। थोड़ीही देरमे प्रसूत होकर उसे एक पुत्ररत्न होगया। यही शाक्यकुलके दीपक महात्मा गौतम बुद्ध थे।
The whole aranya was smelling from them and their fragrance. Soft green leaves were seen on the trees. The herds of birds on the fruit-bearing trees were wandering in joy and cruising together, chanting the word “Kalk”. The pools of illusers were enthralled in passing pollen from one flower to another while passing by. Mayawati had anguish in her stomach which caused her and her companions to stay there. Seeing the queen being in labor, the entire congregation was worried and there was a great panic among the slaves. The maidens, under a ravine tree, made up the grave-bed. And tied Kanat around and put the queen on her to be present. After a while, she got a son and gave birth to a son.
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About Writer / लेखक के बारे में
एक वार सिद्धार्थ शहरमें हवा-खोरी के लिए निकले। उस समय ग्ख व कड़ी धूप थी। चलते-चलते वे एक खेतके पास जा पहुँचे। वहाँ आपने उतनी दुपहरी में एक किसान को कड़ी मिहनत उठाते हुए देखा। इस तरहके दीन कृषकों से कर लेकर उस पर राजा तथा सर्दार यथेष्ट चैन करते हैं। यह देख कर आपको बहुत बुरा मालूम हुआ। आगे चलकर आप एक सरोघरके किनारे बैठ गये। वहाँ आपने एक मछलीको कीड़ा पकड़ते हुए देखा। थोड़ी देरमें उसी मछली को एक बड़ी मछली खा गई। वहीं पास एक बगुला बैठा था, वह उस बड़ी मछली पर अचानक टूट पड़ा और वात की वातमें उसे हड़प्प कर गया। आकाशमें उड़ते हुए उनी बगुलेके पीछे एक और पक्षी लग गया । सागंश यह है कि उनको उस जगह यह बात दी पडी कि प्रबल प्राणी निर्यल प्राणियों पर किस तरह अत्याचार करते हैं।
“Conquer anger with non-anger. Conquer badness with goodness. Conquer meanness with generosity. Conquer dishonesty with truth.” -BUDDHA
“अक्रोध से क्रोध पर विजय प्राप्त करो। अच्छाई से बुराई को जीतो। क्षुद्रता को उदारता से जीतें। सच्चाई से बेईमानी को जीतो।” -बुद्ध: