ज्ञान-योग स्वामी विवेकानंद द्वारा हिंदी में पीडीएफ फाइनल डाउनलोड | Gyan-yoga By Swami Vivekanand In Hindi PDF Final Download

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hindi pustak contactSummary of Book / बुक का सारांश 

प्रस्तुत पुस्तक का यह द्वितीय संस्करण है। स्वामी विवेकानन्द द्वारा वेदान्त पर दिए गए भाषणों का संग्रह “ज्ञानयोग” है। इन व्याख्यानों में स्वामीजी ने वेदान्त के गूढ़ तत्त्वों की ऐसे सरल, स्पष्ट और सुन्दर रूप से विवेचना की है कि आजकल के शिक्षित जनसमुदाय को ये खूब जंच जाते है। उन्होंने यह दर्शाया है कि वैयक्तिक तथा सामुदायिक जीवनगठन में वेदान्त किस प्रकार सहायक होता है। मनुष्य के विचारों का उच्चतम स्तर वेदान्त है और इसी की ओर संसार की समस्त विचार-धाराएँ दानः-दानः प्रवाहित हो रही हैं। अन्त में वे सब वेदान्त में ही लीन होंगी। स्वामीजी ने यह भी दर्शाया है कि मनुष्य के देवी स्वरूप पर वेदान्त कितना जोर देता है और किस प्रकार इसी में समस्त विश्व की आशा, कल्याण एवं दान्ति निहित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि वेदान्त तथा भारतीय | संस्कृति के प्रेमियों को इस पुस्तक से विशेष लाभ होगा।
– इस पुस्तक के अधिकांश भाग का अनुवाद बनारस के श्री बोन्द्र शर्मा, एम. ए., शास्त्री, ने किया है और कुछ अंश का थी अमल सरकार, एम. ए., कोविद, कलकत्ता ने। इन दोनों मित्रों की इस सहायता के लिए हम उनके बड़े कृतज्ञ है।

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This is the second edition of the present book. “Gyanyoga” is a collection of speeches given by Swami Vivekananda on Vedanta. In these lectures, Swamiji has discussed the esoteric elements of Vedanta in such a simple, clear, and beautiful manner that they are well suited to the educated masses of today. He has shown how Vedanta helps in the formation of individual and community life. The highest level of human thought is Vedanta, and towards this, all the world’s thought-streams are flowing danah-danah. In the end, they will all be absorbed in Vedanta. Swamiji has also shown how much Vedanta lays emphasis on the divine nature of man and how in this lies the hope, welfare, and charity of the whole world. We have full faith that Vedanta and Indian Culture lovers will get special benefits from this book.
Most part of this book has been translated by Mr. Bondra Sharma, M.A., Shastri, of Banaras and some part was by Amal Sarkar, M.A., Kovid, Calcutta. We are deeply indebted to these two friends for their help.

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